गंगोह उपचुनाव के चलते जनपद में सियासी पारा गर्म
- जानिए कांग्रेस के इस पोस्टर से क्यों मची है खलबली
- यह भी जानिए किसके सर पर सजेगा गंगोह का ताज
सहारनपुर:-गंगोह उपचुनाव के चलते जनपद में सियासी पारा गर्म है। मतदाताओं को रिझाने के लिए सभी दलों के नेता कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। रविवार को काजी परिवार ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए गंगोह के दूधला गांव जाकर अतीत में विधायक रहे स्वर्गीय मास्टर कंवरपाल की समाधि पर श्रद्धांजलि देकर हलचल मचा दी। सहारनपुर लोकसभा सीट से पूर्व सांसद एवं केंद्रीय मंत्री रहे काजी रशीद मसूद, उनके भतीजे पूर्व विधायक इमरान मसूद तथा गंगोह से उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी नोमान मसूद ने दूधला स्थित स्वर्गीय मास्टर कंवरपाल की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि देते हुए उनकी विरासत पर अपना अधिकार जताया। जिसको लेकर भाजपाई खेलें में सुगबुगाहट साफ तौर पर नजर आ रही है।
*कांग्रेस के इस पोस्टर से क्यों मची खलबली*
अतीत में विधायक रहे स्व. मास्टर पाल सिंह की छवि का आप इस बात से भी अंदाजा लगा सकते हैं कि आज उनके निधन के 20 वर्षों बाद एक बार फिर कांग्रेस के होर्डिंग्स में प्रत्याशी नोमान मसूद के साथ उनका फोटो लगाकर वोट मांगी जा रही है। इसके अलावा विधानसभा में कांग्रेस की प्रचार गाड़ी पर भी मास्टर जी फोटो देख आप अंदाजा लगा सकते हैं कि गंगोह की राजनीति में एक समय मास्टर जी कद क्या रहा होगा।हालांकि वर्तमान परिपेक्ष में काजी परिवार को उपचुनाव में इसका कितना लाभ मिलेगा यह तो वक्त ही बताएगा। क्योंकि एक समय काजी परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले मास्टर जी के पुत्र प्रदीप चौधरी आज देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा में बड़ा चेहरा होने के साथ-साथ कैराना लोकसभा सीट से सांसद हैं।
*जानिए क्या है गंगोह का सियासी समीकरण ?*
गंगोह उपचुनाव की बात करें तो काजी परिवार के अलावा इस सीट पर सपा से जहां चौधरी इन्द्रसेन चुनावी मैदान में हैं। वहीं बसपा चौधरी इरशाद को टिकट देकर सियासी पिच पर मुस्लिम-दलित समीकरण के साथ मैदान में उतरी है। इसके साथ ही सूबे में सत्तासीन भाजपा ने इस सीट पर किरत सिंह पर अपना दांव खेला है। ऐसे में हिन्दू गुर्जर मत जहां भाजपा व सपा प्रत्याशी के बीच बंटता नजर आ रहा तो वहीं मुस्लिम वोटों का झुकाव बसपा तथा कांग्रेस की ओर जाता प्रतीत हो रहा है। चूंकि बसपा प्रत्याशी चौ. इरशाद मुस्लिम गुर्जर समाज से हैं इसलिए बसपा के परम्परागत वोट बैंक के अलावा मुस्लिम गुर्जर का चौ. इरशाद के प्रति भावनात्मक जुड़ाव से भी इंकार नही किया जा सकता।
वहीं हिन्दू गुर्जर वोट का बड़ा हिस्सा सपा प्रत्याशी इन्द्रसेन को मिलता दिख रहा है। जिसके लिए उनकी टीम सोशल मीडिया पर "अबकी बार चौधरी परिवार" व "नही चलेगा ठेकेदार-अबकी बार चौधरी सरकार" जैसे नारो से बदलाव को प्रयासरत है। लेकिन उपचुनाव में चौधरी परिवार गुर्जर समाज के अलावा मुस्लिम तथा अन्य समाज के मत अपने खेमे में किस रणनीति के तहत लेकर आएगा, देखने वाली बात यह भी होगी !
हालांकि भाजपा प्रत्याशी किरत सिंह के वोट बैंक में हिन्दू गुर्जर के साथ-साथ अन्य हिन्दू जातियां भी बड़ी संख्या में शामिल हैं। जो विरोधियों के लिए बड़ी चुनोती साबित हो सकता है। परन्तु विधानसभा के बाहर का होना, तथा स्थानीय संगठन पर मजबूत पकड़ न होना उनके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
*क्या भाजपा सोशल मीडिया पर कमजोर पड़ रही है ?*
सोशल मीडिया पर "कीरत" खेमे की कमजोर कैम्पेनिंग उपचुनाव में भाजपा के खिलाफ जा सकती है। जबकि अन्य पार्टी प्रत्याशी इसके लिए बकायदा यूट्यूब चैनल, फेसबुक आदि के माध्यम से मतदाताओं का रुझान मोड़ने में दिन-रात एक किये हुए हैं। गंगोह के एक भाजपा कार्यकर्ता की माने तो यूट्यूब चैनल के प्रतिनिधि तो दिन-रात जनता के माध्यम से स्थानीय भाजपा नेताओं को कोसने में लगे हुए हैं। चर्चा है कि उक्त पत्रकार जब जनता के बीच में जाते है तो सबसे पहले इनका एक ही सवाल होता है "आपके गांव में सांसद कब आये थे ? आगे वह कहते हैं कि "कैराना लोकसभा में 1000 से अधिक गांव हैं। सरकार गठन होने के बाद संसद सत्र पौने दो महीने तक चला। ऐसे में बचे चन्द दिनों में एक सांसद के व्यस्त कार्यक्रम के चलते पूरी विधानसभा का दौरा कैसे सम्भव होगा ?
*कांग्रेस के होर्डिंग पर मास्टर जी की फोटो क्यों*
वहीं दूसरी ओर काजी परिवार की बात करें तो विधानसभा प्रत्याशी के रूप में नोमान मसूद का यह दूसरा चुनाव है। जिसमें इस बार उनके खेमे में भाई इमरान मसूद के साथ ही चाचा काजी रशीद मसूद भी खुलकर समर्थन में सामने आए हैं। कांग्रेस के चुनावी भाषणों पर गौर करें तो पूरा परिवार जहां हिन्दू मुस्लिम एकता पर जोर दे रहा है। वहीं प्रचार गाड़ी तथा होर्डिंग्स पर पूर्व एमएलए स्व. मास्टर कंवरपाल की फोटो देखकर रणनीति को समझा जा सकता है।
राजनीति में एक अरसा बिताने वाले काजी परिवार को पता है कि मोदी युग में केवल मुस्लिम वोट के सहारे नैया पार लगाना आसान नही है। दूसरी ओर हिन्दू गुर्जर मतों में बिखराव पैदा कर काजी परिवार एक तीर से दो निशाने लगाने में कामयाब हो सकता है। जिसके लिए अतीत में एक समय बटार बावनी के सबसे बड़े चेहरे रहे विधायक मास्टर कंवरपाल को विकास और हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक चेहरे के रुप में पोस्टर पर लाया गया है। बरहाल भाजपा खेमे में प्रदीप चौधरी और सपा खेमें में चौधरी बंधुओ के चलते हिन्दू गुर्जर मतों में सेंध लगाना काजी परिवार के लिए इतना भी आसान नही होगा !
चुनाव परिणाम जो भी हो परन्तु गंगोह का ताज किसके सर होगा। इसको लेकर सहारनपुर से लेकर लखनऊ तक चर्चा आम है। चुनावी मुद्दों में विकासवाद के स्थान पर धर्म-जात बिरादरी के साथ-साथ उसूलों पर भावनाएं भारी पड़ हैं।
*वजह साफ है क्योंकि यह उपचुनाव है आम चुनाव नही !*
अंजू प्रताप/पारस पंवार/योगेश आर्य